Friday, October 03, 2014

जगदेव सिंह जस्सोवाल अमेरिका रवाना

पंजाबी सांस्कृति की मशाल लेकर सूरत सिंह खालसा भी साथ गए 
लुधियाना: 2 अक्टूबर 2014: (रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन):
कहते हैं अब कलियुग है। इसीलिए भाई भाई को नहीं पहचानता। दोस्त ही दोस्त की पीठ में छुरा घोंपता है पर सरदार जगदेव सिंह जस्सोवाल ने अपने मूक अंदाज़ से साबित किया कि दोस्ती आज भी ज़िंदा है। वह अपने ख़ास लेखक मित्र प्रोफेसर मोहन सिंह की याद  रख रहे हैं। जब श्री जस्सोवाल ने प्रोफेसर साहिब की याद में यह मेला शुरू तो उनके साथ बहुत ही कम लोग थे। जो थे उनमें से भी कई अपने सौरठों से जुड़े थे। इन कठिन हालातों के बावजूद जब  की स्मृति में पहला मेला लगा तो यह एक चमत्कार था। बहुत से लोग खुश थे---पंजाब में किसी पंजाबी लेखक की कदर का यह शायद पहला मामला था। खुश होने वालों के साथ कुछ लोग निराश भी थे। उनका कहना था-अब अगली बार मेला लगेगा तो देखेंगे। उन सब साज़िशों को नाकाम करते हुए जस्सोवाल साहिब डटे रहे। परिणाम सब के सामने है।  वह मेला आज तक लगता आ रहा है।  इस मेले ने बहुत से लोगों को रोज़गार दिया तो बहुत से कलाकारों को स्थापित होने में भी मदद की। अब यह मेला अमेरिका  में लगेगा। अमेरिका में सैक्रामेंटो के शहर स्टाकटिन में यह मेला 4 और 5 अक्टूबर को लगेगा। जाति, मज़हब, रंग और नस्ल के सभी भेदों से ऊपर उठ कर इस महान शायर ने बहुत पहले ही कह दिया था--
दो धड़ियां विच खलकत वण्डी
इक महिलां दा-इक ढोकां दा। 
अब अपनी वृद्ध अवस्था के बावजूद श्री जस्सोवाल इस संदेश को लेकर अमेरिका जा रहे हैं तांकि इस हकीकत को पूरी दुनिया तक पहुंचा सकें। कहते हैं अमेरिका में कही गे बात पूरी दुनिया के लोग बहुत ध्यान से सुनते हैं। उम्मीद की जनि चाहिए कि जब प्रोफेसर  की क्रांति भरी  शायरी  जस्सोवाल के प्रयासों से पूरी दुनिया तक पहुंचेगी तो एक नयी क्रांति की शुरुआत भी होगी।
पंजाबी सांस्कृति  की मशाल लेकर जगदेव सिंह जस्सोवाल वीरवार को प्रोफैसर मोहन सिंह मैमोरियल फाऊंडेशन अमेरिका के बुलावे पर अमेरिका के लिए रवाना हुए उनके साथ प्रसिद्ध समाज सेवक सूरत सिंह खालसा भी अमेरिका गए। इस अवसर पर जस्सोवाल ने विदेशी धरती पर पंजाबी विरसे, पंजाब मिट्टी व धार्मिक रवायतों को कायम रखने वाले पंजाबी, प्रवासियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि पंजाब की पावन भूमि पर जन्म लेने वाले यह लोग वर्षों तक पंजाब की  भूमि  से दूर रहने के बावजूद पंजाबी सभ्याचार को जिंदा रखते हुए उन्होंने अपनी मिट्टी का मोह, सभ्याचार का मोह व धर्म का सत्कार कायम रखा है। इस अवसर पर प्रो. मोहन सिंह मैमोरियल फाऊंडेशन के अध्यक्ष प्रगट सिंह ग्रेवाल सीनियर चेयरमैन साधु सिंह ग्रेवाल, उपाध्यक्ष, कृष्ण कुमार बावा,  निर्मल जोड़ा, पवन गर्ग हरदयाल सिंह अमन, अर्जुन बावा सहित अन्य शामिल थे।

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